
नाड़ी जो कि व्यक्ति के मन एवं मानसिक ऊर्जा की सूचक होती है। व्यक्ति के निजी सम्बंध उसके मन एवं उसकी भावना से नियंत्रित होते हैं, जिन दो व्यक्तियों में भावनात्मक समानता, या प्रतिद्वंदिता होती है, उनके संबंधों में ट्कराव पाया जाता है। हिन्दु धर्म में मनुष्य के जन्म से लेकर उसकी मृत्यु तक सोलह प्रकार के संस्कार कीएं जाते है। उन्ही संस्कारों में से सबसे महत्व पूर्ण है विवाह संस्कार जिसमें लड़का और लड़की अपने जीवन भर के लिए एक दूसरे को चुनते है। इस विवाह संस्कार के पूर्व कुण्डली का मिलान किया जाता है, यह मिलान तभी ठीक माना जाता है जब कि कुण्डली के 50 प्रतिशत गुण मिलान कर रहे हो अर्थात कुण्डली मिलान के कुल गुण 36 होते है और यदि इन 36 में से 18 गुण मिल रहे होते है तो लड़के और लड़की को विवाह की स्वीकृति मिल जाती है। परंतु कुण्डली के मिलान में कुछ दोष भी होते है जैसे नाड़ी दोष इसी के बारे में विस्तार से जानेगे । गुण मिलान करते समय यदि वर और वधू की नाड़ी अलग-अलग हो तो उन्हें नाड़ी मिलान के 8 में से 8 अंक प्राप्त होते हैं, जैसे कि वर की आदि नाड़ी तथा वधू की नाड़ी मध्य अथवा अंत। किन्तु यदि वर और वधू की नाड़ी एक ही हो तो उन्हें नाड़ी मिलान के 8 में से 0 अंक प्राप्त होते हैं तथा इसे नाड़ी दोष का नाम दिया जाता है।
नाड़ी दोष को कुण्डली के सबसे खराब दोषों में से अधिक खराब दोष माना जाता है और ज्योतिष शास्त्र में भी कहा गया है कि कुंडली मिलान में नाड़ी दोष बनने से निर्धनता आना, संतान न हो और वर अथवा वधू दोनों में से एक अथवा दोनों की मृत्यु हो जाना जैसी भारी विपत्तियों का सामना करना पड़ सकता है।
जन्म कुण्डली में तीन प्रकार के नाड़ी दोष बताएं गए है, पहली होती है आदि नाड़ी, दूसरी मध्या नाड़ी और तीसरी अन्त्य नाड़ी । इन तीनों नाड़ियों के अपने-अपने अलग प्रभाव होते है। जब जन्म कुण्डली में आदि नामक नाड़ी दोष होता है, तो वर-वधू में तलाक या फिर अलगाव की स्थिति बनती है। मध्या नाड़ी होने पर दोनों के बीच मृत्यु तुल्य कष्ट होने की संभावना बनती है और अन्त्य नाड़ी होने पर किसी न किसी की मौत की शंका तक होने के संकेत मिलते है।
इन स्थितियों में नही लगता है, नाड़ी दोष–
- यदि लड़का-लड़की दोनों का जन्म एक ही नक्षत्र के अलग-अलग चरणोमें हुआ हो तो दोनों की नाड़ी एक होने पर भी दोष नहीं माना जाता है।
- यदि दोनो की जन्म राशि एक हो और नक्षत्र अलग-अलग हों तो वर-वधू की नाड़ी की नाड़ी एक होने के पश्चात भी नाड़ी दोष नही माना जाता है।
- वर-वधू का जन्म नक्षत्र एक हो लेकिन जन्म राशियाँ अलग-अलग हो तो भी नाड़ी दोष नही माना जाता है।
- नाड़ी दोष को कम करने के सामान्य उपाय – शास्त्रों के अनुसार अगर कुण्डली मिलान में नाड़ी दोष हो तो विधि विधान के अनुसार दान पुण्य करें और महामृत्युंजय जाप अवश्य कराएं ।